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mindFly Katha, From cockpit to culture one podcast, many flight paths.Author: Capt. Amit Singh
Where Aviation, Safety, and Forgotten History Intersect Explore the minds behind the machines and the legacy behind the lives. mindFully Human is a podcast about Human Factors, aviation decision-making, and the untold stories that shape our skies and our culture. Presented by mindFly, an Indian non-governmental initiative founded by Capt. Amit Singh FRAeS, dedicated to enhancing aviation safety, cognitive performance, and preserving ignored Indian legacies. From pilot errors to cognitive traps... From cockpit checklists to erased dynasties... This podcast travels where others dont. Language: en Contact email: Get it Feed URL: Get it iTunes ID: Get it Trailer: |
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वराह राजपूत: भारत के भूले-बिसरे राजा
Monday, 1 December, 2025
नमस्ते दोस्तों! इस वीडियो में हम वराह (Varaha) कुल के अद्भुत इतिहास और उनकी वंशावली के वैज्ञानिक प्रमाणों पर चर्चा करेंगे। जानिए कैसे पुरातात्विक, आनुवंशिक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करते हैं कि वराह राजपूतों की जड़ें मध्य एशिया में थीं और उन्होंने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।🔍 वीडियो के मुख्य बिंदु:आनुवंशिक प्रमाण (Genetic Evidence):डीएनए विश्लेषण से यह साबित हुआ है कि वराह कुल का डीएनए मंगोलिया की प्राचीन 'योंगजू' (Xiongnu) जनजाति से मेल खाता है,।लेखक का वाई-डीएनए (Y-DNA) हैप्लोग्रुप 'Q1b (L275)' है, जो मध्य एशिया और साइबेरिया में अपनी उत्पत्ति का संकेत देता है,। यह आनुवंशिक लिंक वराह राजपूतों के वंश को लेकर चल रही बहसों को समाप्त करता है।ऐतिहासिक प्रवास (Historical Migration):वराह कबीले की उत्पत्ति मंगोलिया में हुई, जहाँ से वे मध्य एशिया और ईरान (जहाँ उन्हें 'वराज' या 'हेफ्थलाइट्स' कहा जाता था) होते हुए 5वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास भारत आए,,।'वराह' शब्द का अर्थ संस्कृत और प्राचीन ईरानी भाषाओं (जैसे Waraz) में 'सूअर' (Boar) होता है, जो शक्ति का प्रतीक है,।पुरातात्विक पुष्टि (Archaeological Confirmation):मध्य भारत के एरण (Eran) में वराह की मूर्ति पर हूण शासक 'तोरमाण' (Toramana) का अभिलेख मिला है, जो भारत में उनके शासन और स्थानीय संस्कृति के साथ उनके जुड़ाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है,।कांगड़ा किले के प्रवेश द्वार पर रिबन पहने हुए हिरण की मूर्ति यूरेशियन 'फ़र' (Farr) अवधारणा और अल्खन (Alkhan) हूणों के प्रभाव को दर्शाती है,।भारतीय निरंतरता (Indian Continuity):गांधार और पंजाब में वराह कबीले को 'तुर्क शाही' और बाद में 'हिंदू शाही' राजवंश के रूप में जाना गया,।ऐतिहासिक रिकॉर्ड और स्थानीय कहावतें पुष्टि करती हैं कि भटिंडा (Bhatinda) वराह शासक राजा विनयपाल की राजधानी थी। अंततः, यह कबीला हिमाचल प्रदेश के अंबोटा (Ambota) गाँव में बस गया,।इस वीडियो को देखें और जानें कि कैसे विज्ञान और इतिहास मिलकर एक योद्धा कबीले की खोई हुई कहानी को उजागर करते हैं।#VarahaHistory #AncientIndia #Genetics #Archaeology #Huns #RajputHistory #IndianHistory








