Gumshuda Chitthiyan
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बातें, दिल से, दिल की Baaten, Dil se, Dil Ki
Thursday, 24 September, 2020
लंबा समय हुआ। बात नहीं हुई। इधर, चिट्ठी भी नहीं लिख पाया तुम्हें। कुछ जीवन की उलझनें रहीं और कुछ दफ़्तरी कामों की। बात नहीं हुई। तुमने भी नहीं की। ये जानते हुए भी कि तुम्हारी बातें, मेरी उलझनों की कंघी हैं। सब सुलझा देती हैं। लेकिन सब उलझता गया। बात हो जाती तो अच्छा होता। बात करने से ही बात बनती है। लेकिन ज़रा अपने आसपास नज़र घुमाओ। जाओ अपनी फ्रेंड लिस्ट में। और देखो, वहाँ कितने लोग हैं, जिनसे हम बात कर सकते हैं। सच्चाई तो ये है कि दोस्तों की लिस्ट नहीं होती। ये हमारा दुर्भाग्य है कि हम इस बात को समझ नहीं पाते। थोड़ा-सा और सोचो। सोचो कि तुम्हारे आसपास कितने लोग हैं, जिससे बात की जा सकती है। बात करना क्या है? अपने सुख-दुःख को बाँटना ही तो बात करना है। और बाँटना क्या है? सिवाय अपनी अंतरंगता की परिधि में किसी को शामिल करने के सिवा। इसीलिए बात करने के लिए प्रेम और समर्पण से लबरेज एक दिल चाहिए। आत्मीयता चाहिए।